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खेलकूद व योग

खेलकूद व योग

 
खेलकूद
प्रतिभास्थली के खेल के मैदान में ही छात्राओं के व्यक्तित्व का वास्तविक गठन होता हैं । खेलों के द्वारा ही छात्राओं में स्फूर्ति, बल, निर्णयशक्ति, संतुलन, साहस, सतर्कता ,आगे बढने की वृत्ति, मिलकर काम करने की आदत, हार जीत में समत्व भाव, अनुशासनबद्धता आदि शारीरिक, नैतिक, सामाजिक एवं आत्मिक गुणों का विकास होता हैं ।
 
योग
शरीर पर नियंत्रण, मन पर अनुशासन तथा आत्मा के गूढतम रहस्यों के उद्घाटन के साथ ही तीनों के संतुलन एवं समन्वय की स्थापना ही योग हैं । योग का एक अंग आसन् हैं । ‘आसन्’ अर्थात शारीरिक स्थिति ।

स्थिर और सुखकर शारीरिक स्थिति, मानसिक संतुलन लाती है और मन की चंचलता को रोकती है । प्रतिभास्थली की छात्राएं आसनो के अभ्यास से मन की चंचलता पर नियंत्रण, संतुलन, धेर्य और चेतना जैसे गुणों का विकास कर रही हैं ।
 
 
 
घोष वादन(बेंड)
प्रतिभास्थली में छात्राएं सामूहिक घोष वादन का अभ्यास करती है, तब प्रत्येक सुनने वाले व्यक्ति के मन में एक उत्साह की लहर उत्पन्न कर देती हैं । ऎसा लगता हैं मानो घोष वादन से गुंजायमान मधुर स्वर सबका आह्वान कर रहे हो कि - “आओ ! देश भक्ति के रंग में रंग जाओं”।