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सुविचार

सुविचार

संघर्ष में भी
चन्दन सम सदा
सुगंधी बाँटू।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
अकेला नहीं,
गुरु साथ में
हैं आत्मसात वे
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
गुरू ने मुझे
प्रकट कर दिया
दीया दे दिया।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
गुरु चरणों
से संकेत मिलता
आचरण का।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
गुरु कृपा से
बांसुरी बना मैं तो
ठेठ बांस था।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
दायित्व भाव
कंधो पर आते शक्ति
सो न सकती।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
मत दिलाओ
विश्वास लौट आता
व्यवहार से।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
तेरी दो आँखें
तेरी ओर हज़ार
सतर्क हो जा।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
ज्ञान प्राण है
संयत हो तो त्राण
अन्यथा श्वान।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
गुणालय में
एक आध दोष भी
तिल सालगे।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
पर की पीड़ा
अपनी करुणा की
परीक्षा लेती।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
पंक नहीं पंकज बनू, मुक्ता बनूँ ना सीप।
दीप बनू जलता रहूँ, गुरु पद पद्म समीप॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
मन अपना
अपने विषय में
क्यों न सोचता ?
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
दीप अनेक
प्रकाश में प्रकाश
एक मेक सा।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
बिना डाँट के
शिष्य और शीशी का
भविष्य ही क्या ?
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
किस ओर तू …!
दिशा मोड़ दे, युग
लौट रहा है।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
गुरु और शिष्य
आगे-पीछे दोनों में
अन्तर कहाँ ?
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
केन्द्र को छूती
नपी सीधी रेखाएँ
वृत्त बनाती।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
संघर्षमय जीवन का उपसंहार हर्षमय और हर समय होता है।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
हित का सृजन और अहित का विसर्जन यही शिक्षा का लक्षण है।
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
शत्रु मित्र में
समता रखो, न कि
भक्ष्या भक्ष्य में ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
ज्ञान ज्ञेयसे
बड़ा आकाश आया
छोटी आँखों में ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
आस्था झेलती
जब आपत्ति आती
ज्ञान चिल्लाता ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
अर्पित यानि
मुख्य, समर्पित सो
अहं का त्याग ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
जीत सको तो
किसी के दिल जीतो
सो, बैर न हो ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
पूरक बनो
सिंह से वन, सिंह
वन से बचा ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
हम से कोई
दुखी नहीं हो बस
यही सेवा है ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
संकट से भी
धर्म-संकट और
विकट होता ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
अति मात्रा में
पथ्य भी कुपथ्य हो
मात्रा माँ सी हो ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
जिज्ञासा यानी
प्राप्त में असंतुष्टि
धैर्य की हार ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
सुनो तो सही
पहले सोचो नहीं
पछताओगे ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
असमर्थन
विरोध सा लगता
विरोध नहीं ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
नदी कभी भी
लौटती नहीं फिर
तू क्यों लौटता ?॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
सदुपयोग
ज्ञान का दुर्लभ है
मद सुलभ ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
खूब बिगड़ा
तेरा उपयोग है
योग कर ले ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
नीर नहीं तो
समीर सही प्यास
कुछ तो बुझे.. ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
निश्चिंतता में
भोगी सो जाता.. वहीं
योगी खो जाता ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
बाँध भले ही
बांधो, नदी बहेगी
अधो या उर्ध्व ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
आज्ञा का देना
आज्ञापालन से है
कठिनतम ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
दर्पण कभी
न रोया न हँसा, हो
ऐसा संन्यास ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
दूध पे घी है
घी से दूध न दबा
घी लघु बना ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
ऊपर जाता
किसी को न दबाता
घी गुरु बना ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
खाल मिली थी
यही मिट्टी में मिली
खली जाता हूँ ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
हमारे दोष
जिनसे फले फुले
वे बंधू कैसे ? ॥
-आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज