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प्रकृति प्रेम

प्रकृति प्रेम

आज के इस वैज्ञानिक मशीनी युग में कारखानों की कोलाहल में जहाँ इंसान प्रकृति के मधुरिम सुरों से अपरिचित सा होता जा रहा हैं वहीं शहर के शोर से दूर प्रकृति की सुरम्य गोद में स्थित प्रतिभास्थली में छात्राओं का प्रकृति से प्रतिपल साक्षात्कार होता हैं । उन्हें प्रकृति की प्रत्येक धरोहर से प्रेम करना सिखाया जाता हैं ।

 
वृक्षो रक्षति रक्षित: की युक्ति को चरितार्थ करते हुए प्रतिभास्थली में बच्चों के लिए जहाँ पेड़ पोधों से सम्बंधित विभिन्न गतिविधिओं से परिचित कराया जाता हैं वहीं उनको पशु-पक्षियों से प्रेम करना भी सिखाया जाता हैं ।

इसके लिए विद्यालय में वृक्षारोपण, गमलों में पानी सिंचन, कबूतरों को दाना खिलाना, उन्हें खुले आकाश में आज़ाद करना, गायों को चारा और गुड़ खिलाना, गौ-ग्रास, औषधीय पोधों की पहचान और सफाई अभियान आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं ।
 
प्रकृति से प्रेम हमें उन्नति की ओर ले जाता हैं । प्रकृति और पर्यायवरण की गोद में ही हम स्वस्थ व सुरक्षित रह सकते हैं । इन भावनाओं को बच्चों में भरने के लिए प्रतिपल समय समय पर प्रयास किया जाता हैं ।

उन्हें नदियों, झरनों, समुद्र तट, बाग-बगीचों, अभ्यारण्यों में सैर भी कराई जाती हैं ।