प्रतिभास्थली की छात्राओं को मिली नीट परीक्षा में क्लीन चिट (२ नवंबर)
प्रतिभास्थली के तारे पहली बार में ही नीट गगन के सितारे बन गए। नीट की प्राम्भिक परीक्षा में पहली बार में ही अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होकर उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में प्रवेश की अर्हता प्राप्त कर ली। संस्था को उनकी सफलता पर नाज है।
नर्मदा की गोद में आयुर्वेद का संरक्षण (२ नवंबर)
संस्कारधानी की धरा पर विराजमान संत शिरोमणि १०८ विद्यासागरजी महाराज के परम सानिध्य में आयुर्वेदिक कन्या महाविद्यालय का शिलान्यास समारोह संपन्न हुआ। जबलपुर के इतिहास की शायद यह प्रथम घटना होगी जब दयोदय की धरती पर दयामूर्ति संत ने मानव मात्र पर करुणा करते हुए ‘पूर्णायु प्रकल्प’ के रूप में आयुर्वेदिक औषधालय की नींव रखी।
साथ ही प्राचीन आयुर्वेदिक संस्कृति के पुनर्जीवन और संरक्षण हेतु आयुर्वेदिक कन्या महाविद्यालय का भी शुभारंभ करने का आशीर्वाद प्रदान कर दिया। आयुर्वेद की यह धारा युग-युग तक प्रवर्तमान रहे और सभी अपनी–अपनी पूर्ण आयु प्राप्त कर सकें, इसी सोच के साथ इस प्रकल्प का प्रतिष्ठापन हुआ।
अभिनन्दन का हुआ गुरु चरणों में अभिनन्दन
विंग कमांडर अभिनन्दन के पिता वर्धमान का वर्तमान के वर्धमान आचार्य गुरुवर १०८ विद्यासागर जी के परम सानिध्य में सम्मान किया गया। अभिनन्दन के माता-पिता स्वयं सेना में सेवाएँ दे चुके हैं। जीवन में अनेक सम्मान मिले लेकिन गुरु चरणों में मिले इस सम्मान ने उनको भाव-विभोर कर दिया। गुरु मुख से सैनिकों की प्रशंसा सुन उनके नेत्र सजल हो उठे। आचार्य श्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि “देश की सेवा करना व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म है।”
हितचिन्तक हितेश जानी ने छात्राओं को बतायीं हित की बातें (२८ अक्टूबर)
भारत सरकार के पशु कल्याण बोर्ड के निदेशक तथा आयुर्वेद विश्वविद्यालय जामनगर गुजरात के प्राचार्य महोदय डॉ.हितेश जानी का आगमन प्रतिभास्थली में हुआ। संत श्रेष्ठ आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी के श्री चरणों में बैठकर उन्होंने गुरुमुख से आयुर्वेद चिकित्सा पद्दति के विषय में प्राचीन जैन शास्त्रों में आयुर्वेद विषय पर लिखे गए महत्वपूर्ण ज्ञान को ग्रहण किया।
तत्पश्चात उन्होंने छात्राओं के साथ वार्तालाप करते हुए उनको दैनिक जीवन से जुड़े आयुर्वेदिक रहस्यों को बताया। उन्होंने छात्राओं को संतुलित जीवन जीने की कला का मार्गदर्शन दिया। कैसे खाएँ , क्या खाएँ , कब खाएँ , कैसे बैठे आदि अनेक विषयों पर उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला।
धरती के चाँद के दरबार में चौहान (२० अक्टूबर)
प्रतिभास्थली की धरा पर शरद पूर्णिमा का सुहाना दिन और धरती के देवता का साक्षात् दिग्दर्शन यह सोने पर सुहागा वाला अवसर था। इस स्वर्णिम अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजजी चौहान का आगमन हुआ।
उन्होंने ‘जीव दया के मसीहा’ आचार्य भगवन के नाम पर ‘विद्यासागर जीवदया गौ सेवा सम्मान योजना’ का पुनः प्रारम्भ करते हुये जीव दया के क्षेत्र में अग्रणी संस्थाओं को पुरस्कार वितरित किए। उन्होंने कहा आचार्यश्री का अवतरण हम लोगों के भवतरण के लिए ही हुआ है।
मुख्य न्यायाधीश पहुँचे धर्म न्यायाधीश के चरणा (६अक्टूबर)
संत शिरोमणि आचार्य भगवन १०८ आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चरणों में हर किसी को बैठने का मन होता है । चाहे वह राजनेता हों या न्यायाधीश अथवा धर्मनेता हों या धनकुबेर। उनके चारित्र की निर्मलता, व्यक्तित्व की सहजता और वाणी की मधुरता जन-जन का मन मोह लेती है और समस्या भरे जीवन में समाधान खोज लेती है।
म.प्र.उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्रीमान मोहम्मद रफीक जी प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान धर्म न्यायाधीश संत शिरोमणि १०८ आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चरणों में दर्शनार्थ पहुँचे। आचार्यश्री ने उनको न्यायालयों में हिंदी में न्याय देने की बात कही ताकि सभी को उचित न्याय मिल सके।
गाँधी जयंती हुई जयवंत, पाकर समागम संत का (२ अक्टूबर)
राष्ट्रसंत १०८ आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के पावन चरणों में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जन्म जयंती का जयघोष भावभीनी स्मृतियों के साथ हुआ।
कु. आरुषी जैन ने महात्मा गाँधी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के बल पर देश को आज़ाद कराया। उन्होंने खादी को आज़ादी का शस्त्र बनाया। आज आचार्यश्री उसी हथकरघा को पुनर्जीवित करने का पुरुषार्थ कर रहे हैं। अब हमारा कर्तव्य है कि हम आचार्यश्री के भारत बने भारत अभियान में अपना योगदान देकर भारत का विकास करें। आचार्यश्री जी ने भी अपने प्रवचनों में गाँधीजी के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण प्रसंगों पर चर्चा की।
आराधना का फल आहारदान (२० सितम्बर)
दशलक्षण का फल बड़ा ही विलक्षण रूप से मिला। धन्यभाग, अहोभाग्य, सौभाग्य।
पर्वराज पर्युषण अपनी विदाई बेला में अनुपम उपहार देकर के गए हैं। त्याग ,तपस्या और तप आराधना का प्रतिफल प्रतिभामंडल को गुरुवर के पडगाहन के रूप में मिला। लगभग १८ बहनों ने दस उपवास और अनेकों बहनों ने बेला, तेला, चौला, पचौला की साधना की थी।
आचार्य महाराज की कृपा का प्रसाद पाकर शिथिल शरीर में भी शक्ति का संचार हो गया।
माननीय गृहमंत्री महोदय
प्रतिभास्थली प्रांगण में आपके पदार्पण पर प्रतिभास्थली परिवार ह्रदय से आभारी है।
प्राचीनकाल में राजा जिस प्रकार राजगुरुओं के पास जाकर राजकार्य हेतु दिशा-निर्देशन प्राप्त करते थे। आपने उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए महा मनीषी राष्ट्र संत १०८ आचार्य विद्यासागर जी महाराज के पास आकर राष्ट्र के नाम सन्देश प्राप्त किया है।
संत समागम से प्राप्त ऊर्जा से आपका जीवन ऊर्जावान बने और गुरुमुख से प्राप्त सूत्रों से भारत की रणनीति भारत के अनुसार बने तथा भारत का सही दिशा में विकास हो और भारत पुनः प्रतिभारत बने, यही सही गुरु आशीष का फल है। प्रतिभास्थली आपके आगमन पर भारत के भावी विकास को लेकर आशान्वित हुई है।
रत्नत्रयधारी के चरणों मे रत्नकरण्डक एप का लोकार्पण (१५ सितंबर)
विज्ञान विषय की छात्रा कु॰ आरुषी जैन ने रत्नकरण्डक श्रावकाचार मोबाइल एप का निर्माण करके वीतराग विज्ञान के क्षेत्र में एक नया कदम उठाया है। आज उत्तम संयम के पावन दिवस पर चारित्रचक्रवर्ती आचार्य गुरुवर १०८ विद्यासागर जी महाराज की साक्षात् सन्निधि में इस मोबाइल एप का लोकार्पण किया गया।
लौकिक शिक्षा के साथ-साथ आचरण और अध्यात्म की शिक्षा में रुचि रखने वाली आरुषी प्रतिभास्थली की एक होनहार छात्रा हैं। गुरु चरणों में एप समर्पित करते हुये आरुषी ने कहा- यह सब आपके आशीर्वाद और प्रतिभास्थली की दीदियों की मेहनत का प्रतिफल है। प्रतिभास्थली परिवार उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।
Google Play Store पर यह एप ‘Ratnakarandak Shravakachar’ नाम से उपलब्ध है।
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.vidya.jainratnakarandakshravakachar
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.vidya.jainratnakarandakshravakachar
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आये प्रतिभास्थली के आँगन (५ सितम्बर)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्रीशिवराज सिंह चौहान का आज प्रतिभास्थली में आगमन हुआ। प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान संत शिरोमणि आचार्यश्री १०८ विद्यासागरजी महाराज के चरणों में उन्होंने ज्यों ही नमन किया, गुरुमुख से निकला - बहुत दिन बाद आये आप।
गुरु के इन आत्मस्पर्शी शब्दों को सुनकर वह भावुक हो गए और उन्होंने कोरोना और मौसम की मार से बीमार मध्यप्रदेश की जनता की आपबीती कह सुनाई। उन्होंने गुरूजी से कहा मध्यप्रदेश तो आपका है, यहाँ आपकी कृपा से ही सब होगा। गुरु आशीष की छाँव में पुष्पित और पल्लवित प्रतिभास्थली की दीदियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा – आप दुनियाँ के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के द्वारा तैयार शिक्षिकाएँ हैं, आपके चरणों में प्रणाम। उन्होंने कहा - शिक्षा के तीन उद्देश्य हैं - ज्ञान देना, कौशल सिखाना और चरित्र निर्माण करना। प्रतिभास्थली की शिक्षिकाओं द्वारा यही शिक्षा दी जा रही है। आपका योगदान सराहनीय है।
अंतर्जगत के शिक्षक की अंतहीन अनुकम्पा (५ सितंबर)
आज शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर प्रतिभास्थली की समस्त शिक्षिकाओं को विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का साक्षात् पड़गाहन, करपात्री के कर पल्लवों में आहारदान के सौभाग्य के साथ तलस्पर्शी ज्ञान के धनी का आत्मस्पर्शी उद्बोधन प्राप्त हुआ। एक साथ इतना बड़ा उपहार, यह अंतर्जगत के शिक्षक के अन्तरंग और अंतहीन वात्सल्य का ही परिणाम है।
आनंद के दिव्य अलौकिक क्षण
पधारे अँगना इस युग के भगवन(२९ अगस्त)
प्रतिभास्थली की भूतपूर्व छात्राएँ अद्भुत पुण्य की धनी हैं । उनके समर्पण के कारण आज पड़गाहन के रूप में उन्हें गुरुकृपा का प्रसाद प्राप्त हुआ।
अद्भुत अनुकंपा, अनुपम स्नेह के धनी उस वीतराग मुद्रा के चरण जब छात्राओं के आँगन में रुके तब उपस्थित जनमानस के नेत्र सजल हो गए और अनुमोदना के स्वर गूँज उठे। इन सौभाग्य के क्षणों में सभी छात्राओं ने अपने-अपने वेतन के अनुरूप पूर्णायु तथा अन्य प्रकल्पों हेतु दान दिया। गुरुवर के आशीषों की बौछार तले इन बालिकाओं ने कुछ संकल्प लिए जिन्हें भविष्य में पूरा करने के लिए वह कटिबद्ध हैं।
गुरु चरण सन्निधि में मिली अमूल्य निधि (२८ अगस्त)
प्रतिभास्थली में अंकुरित नन्हें पौधे वटवृक्ष बन गुरु चरणों में उपस्थित हुए। २००६ में प्रतिभास्थली के शुभारंभ से लेकर २०१८ तक के बैच की करीब २०० छात्राएँ प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान संत शिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों के साथ उपस्थित हुई।
गुरु चरणों में समर्पित इन छात्राओं को देख आचार्य भगवान भाव विभोर हो गए। इन होनहार छात्राओं की भवितव्यता को देखते हुए आचार्य श्री ने उन्हें जीवनोपयोगी बहुत सुंदर सूत्र दिए।
आचार्यश्री जी ने कहा-
जीना तो चाहूँ
जीना चढ़ने हेतु
यूँ ही जीना क्या?
जीना चढ़ने हेतु
यूँ ही जीना क्या?
- संग्रह नहीं वितरण होना चाहिए।
- नौकरी नहीं व्यवसाय करना चाहिए।
- चिकित्सक को रोगी के साथ आत्मीय संबंध स्थापित करके चिकित्सा करना चाहिए।
- हमारे हाथ नौकरी लेने वाले नहीं देने वाले होना चाहिए।
- हमारे हाथ नौकरी लेने वाले नहीं देने वाले होना चाहिए।
- शिक्षक बनना सबसे सराहनीय कार्य है।
- आचार्य श्री ने कहा मेरा आशीर्वाद ही रक्षाबंधन का उपहार है।
विज्ञान के युग में वैराग्य की बात (२२ अगस्त)
दयोदय के उपवन में वैराग्य की कलियाँ खिली।
गुरु वात्सल्य की छाँव में आज्ञा रूपी डोर मिली।।
गुरु वात्सल्य की छाँव में आज्ञा रूपी डोर मिली।।
रक्षाबंधन के पावन पुनीत पर्व पर प्रतिभास्थली परिसर में आचार्यश्री की साक्षात् सन्निधि में एक साथ २४ बहनों का परिधान परिवर्तन हुआ। ये सभी बहनें उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। एक विस्मयकारी वातावरण और गुरुवर की प्रसन्न मुद्रा का दिग्दर्शन कर जनसमूह भावविभोर हो गया।
परिधान परिवर्तन के साथ ही वात्सल्य मूर्ति, वर्तमान के विष्णुकुमार आचार्यश्री जी की नवधा भक्ति पूर्वक पड़गाहन कर आहारदान का परम सौभाग्य प्राप्त होना यह रक्षाबंधन का अमूल्य उपहार है। यह गुरूजी के वात्सल्य का ही प्रतिफल है।
कृषि मंत्री को मिला गुरुमुख से मन्त्र (१६ अगस्त)
मध्यप्रदेश सरकार के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल का आज प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान १०८ संत शिरोमणि विद्यासागरजी महाराज के चरणों में आगमन हुआ। गुरु चरणों में आकर उन्होंने आचार्यश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया।
उन्होंने दयोदय परिसर में आचार्यश्री के आशीर्वाद से संचालित विभिन्न प्रकल्पों जैसे- प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, पूर्णायु आयुर्वेदिक चिकित्सालय, हथकरघा और गौशाला को देखा और समाज सेवा के क्षेत्र में आचार्यश्री के योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
आजादी का प्रभात, खादी की बात (१५ अगस्त)
प्रतिभास्थली की पवित्र भूमि पर स्वतंत्र भारत के इस ७५वें वर्ष का आगाज कुछ खास अंदाज में किया गया। मंचासीन आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के चरण सानिध्य में ध्वज वंदन किया गया।
अम्बर चरखा से धागा बनाने का प्रदर्शन करते हुए देश की अर्थव्यवस्था के विकास में इस चरखे के योगदान के विषय में प्रकाश डाला गया। प्रतिभास्थली की बहनों द्वारा संचालित हथकरघा के माध्यम से लगभग ५०० महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है।
प्रतिभास्थली की दीदी द्वारा सभासदों को खादी निर्मित अहिंसक वस्त्रों का महत्त्व बताते हुए उनसे खादी पहनने का आह्वान किया गया। आचार्य महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा की हमारा सौभाग्य है कि हमने “भारत जैसे पवित्र देश में जन्म लिया है। यह कर्मभूमि है, हमें भी अपना कर्म करते हुए देश सेवा करना चाहिए”।
दयोदय की उर्वरा धरा पर संयम का संस्कार (१४ अगस्त)
स्वपर हितकारी १०८ आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के पावन-पुनीत कर कमलों से दयोदय की धरती पर श्रावण शुक्ला षष्ठी दिन शनिवार के दिन २८ क्षुल्लक दीक्षायें संपन्न हुईं।
५४ वर्ष से लेकर ८४ वर्ष तक के सभी वयोवृद्ध गृहस्थ श्रावकों ने ज्ञानवृद्ध, अनुभववृद्ध और ३६ मूलगुणधारी आचार्य महाराज को अपनी जीवन “नैया का खिवैया” बनाकर उनके चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित करके ११ प्रतिमाओं के व्रत धारण कर जैनधर्म के विशाल रथ को खींचने का संकल्प लिया है। “धन्य हैं वे जीव नरभव पाय यह कारज किया”। गुरुदेव की प्रसन्नता का क्या कहना?
लाडलियों के आँगन पड़गाहन (१० अगस्त)
प्रतिभास्थली की भूमि पर रोपित हुआ संस्कारों का बीज आज वृक्ष बनकर लहलहाने लगा है। नन्हीं-नन्हीं कलियाँ इतनी बड़ी हो गईं कि उनके आँगन में आज इस युग के ज्येष्ठ-श्रेष्ठ संत का पड़गाहन हो गया और निर्विघ्न आहार भी संपन्न हो गया।
उनकी इस सफलता पर प्रतिभास्थली परिवार उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता है और गौरव महसूस करता है।
सांसद राकेश सिंह को मिला गुरु आशीष
16वीं लोकसभा के भारतीय जनता पार्टी के सांसद माननीय श्री राकेश सिंह कल शनिवार को तिलवारा दयोदय प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन हेतु पहुँचे।
दिगम्बर संत के दर्शन कर वो अभिभूत हो गए। आचार्यश्री से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि वो पूर्णतः शाकाहारी होने के साथ-साथ लहसुन-प्याज का भी सेवन नहीं करते। यह सुनकर आचार्यश्री का मन इतना प्रसन्न हो गया की इस बात का उल्लेख उन्होंने अपने प्रवचनों में भी किया। वे आम लोगों के बीच मांसाहारी भोजन के निषेध हेतु सामाजिक अभियान में सक्रिय भूमिका का निर्वाह करते हैं।
हथकरघा विक्रय केंद्र का शुभारंभ
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प्रतिभास्थली परिसर में हथकरघा विक्रय केंद्र की शुरुआत हुई। भव्य शोरूम के मुख्य द्वार पर गुरु जी का पादप्रक्षालन और आशीर्वाद का दृश्य बहुत आकर्षक था।
अहिंसक व शुद्ध वस्त्रों को खरीद कर हजारों लोगों ने इस कार्य की अनुमोदना का पुण्य अर्जित किया।
10वीं का परीक्षा परिणाम - आरुषी ने छुआ आसमान
प्रतिभास्थली जबलपुर का कक्षा 10वीं का शत्-प्रतिशत परीक्षा परिणाम के साथ 80 में से 16 छात्राओं ने 90% से अधिक अंक प्राप्त किये हैं।
परीक्षा में 96.8% के साथ कु. आरुषी जैन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कु. अवनि जैन 95.4% अंकों के साथ द्वितीय एवं कु. मौली जैन 94.8% अंकों के साथ तृतीय स्थान पर रहीं। उनकी इस सफलता के लिए प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने बहुत आशीर्वाद दिया। प्रतिभास्थली परिवार की तरफ से हार्दिक बधाइयाँ।
कु.आरुषी जैन ने हिंसक खेलों के बढ़ते प्रचार प्रसार को देखते हुए एक अहिंसक मोबाइल खेल का भी निर्माण किया है जो कि Google Play Store पर ‘संस्कार संवर्धक’ (Sanskar Samvardhak) नाम से उपलब्ध है। यह बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ खेल खेल में धर्मध्यान भी करवाता है।
भव्य मंगल कलश स्थापना समारोह (1 अगस्त 2021)
अहो भाग्य, सौभाग्य, धन्य भाग्य, दयोदय की धरती पर ‘जीवदया के मसीहा’, ‘अहिसा के उपासक’ संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का वर्षायोग मंगल कलश स्थापना समारोह देश भर के दिग्गजों, धन-कुबेरों के साथ-साथ हजारों की संख्या में जन-सामान्य की उपस्थिति में आचार्य भगवन की साक्षात् सन्निधि में सानंद संपन्न हुआ।
‘करुणा के अवतार’ गुरुमहाराज का दयोदय परिसर में यह तीसरा चातुर्मास है। पुण्यसलिला नर्मदा के पावन तट पर स्थित इस भूमि पर आचार्यश्री के आशीर्वाद से पाँच-पाँच प्रकल्प पुष्पित और पल्लवित हो रहे हैं- गौशाला, मंदिर निर्माण कार्य, प्रतिभास्थली, हथकरघा और पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय। गुरूजी का यह चातुर्मास मंगलमय हो, उनकी हर भावना पूर्ण हो, पूर्णायु चिकित्सालय का संवर्धन और विकास हो सबको स्वास्थ्य लाभ हो यही हम सबकी मंगल कामना है।
प्रतिभाओं का सम्मान
कक्षा 12वीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कु.प्रज्ञा जैन, कु.रोशनी जैन और कु. सिद्धि जैन ने कलश स्थापना समारोह के मंच पर मंचासीन आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया । आचार्यश्री ने अपने प्रवचन के दौरान उनके परीक्षा परिणाम की सराहना की।
भक्तों के घर आये भगवान, मिला सबको आहार दान (२८ जुलाई)
जितना सुख अहमिन्द्र को देवलोक में विचरण करते हुए भी न मिलता होगा उससे कई गुना आनंद आचार्यश्री को पड़गाहन करके आहार देने में मिलता है।
इस सदी के महान आचार्य संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर महाराज का मंगल पड़गाहन आज प्रतिभामंडल के चौके में हुआ। तीर्थंकरों-सी चर्या पालन करने वाले आचार्य भगवन को आहार कराने में भगवान आदिनाथ को आहार कराने जैसी विशुद्धि और आनंद की अनुभूति होती है। नीरस आहारी ने आहारदान का सौभाग्य देकर समस्त वातावरण को सरस बना दिया। हम सब भाग्यशाली हैं जो ऐसे महान आचार्य की शरण को प्राप्त हुए हैं। हमारा यह सौभाग्य हमेशा बना रहे, यही गुरुदेव से प्रार्थना है।
आज का आश्चर्य-करपात्री वयोवृद्ध आचार्य महाराज को 350 व्रती बहनों ने अनुशासन के साथ आहार दिया। सीमित आहार लेने वाले आचार्य महाराज और इतनी सारी बहनों को आहारदान का लाभ यह सिर्फ गुरु महाराज की करुणा का ही प्रतिफल है।
संयमपथ के सजग प्रहरी की संघर्षमय यात्रा का उपसंहार (२३ जुलाई)
मौसम की प्रतिकूलता और शारीरिक अस्वस्थता, उम्र का तकाजा, फिर भी लक्ष्य के प्रति जागरूक रहने वाले इस अंतरयात्री महापुरुष की यह पदयात्रा प्रतिभास्थली के परिसर में प्रवेश के साथ ही पूर्ण हुई । रंगबिरंगी रंगोलियों, मौसम की अठखेलियों और संगीत की स्वर लहरियों के बीच प्रकृति के सुरम्य, सुवासित वातावरण में प्रकृति पुरुष आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज की भव्य आगवानी सानंद संपन्न हुई। मेघों ने भी रिमझिम फुहारों से गुरुदेव का सर्वांग अभिषेक किया । दिलों की दीवारों पर अंकित अपने भगवान की साक्षात छवि के दर्शन करने जनसैलाब उमड़ पड़ा।
बड़े बाबा की अनुकम्पा और ज्ञान गुरु की कृपा के उपहारस्वरूप गुरुदेव को अपने आँगन में विचरते देख दयोदय, प्रतिभास्थली और पूर्णायु परिवार की आँखे नम हो गईं।
मौसम की मेहरबानी और आध्यात्मिक आगवानी के ये दृश्य आँखों में संजोये प्रतिभास्थली परिवार को पावन चातुर्मास के उन सभी मधुरिम पलों का इंतजार है जब विद्यागुरु की देशना से प्रतिभास्थली, दयोदय और पूर्णायु का यह परिसर गुंजायमान होगा।
साधक के चरण, प्रांगण में विचरण करें ।
चरणरज से हम अपना आचरण गढ़ें ।।
चरणरज से हम अपना आचरण गढ़ें ।।
मंगलमय वर्षायोग की ह्रदय से शुभकामनायें ।
स्वस्थ, प्रशस्त गुरुदेव की पूर्ण हों भावनायें ।।
स्वस्थ, प्रशस्त गुरुदेव की पूर्ण हों भावनायें ।।