
प्रतिभास्थली प्रणेता की साक्षात् सन्निधि 2021
प्रतिभास्थली की छात्राओं को मिली नीट परीक्षा में क्लीन चिट (२ नवंबर)
प्रतिभास्थली के तारे पहली बार में ही नीट गगन के सितारे बन गए। नीट की प्राम्भिक परीक्षा में पहली बार में ही अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होकर उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में प्रवेश की अर्हता प्राप्त कर ली। संस्था को उनकी सफलता पर नाज है।
नर्मदा की गोद में आयुर्वेद का संरक्षण (२ नवंबर)
संस्कारधानी की धरा पर विराजमान संत शिरोमणि १०८ विद्यासागरजी महाराज के परम सानिध्य में आयुर्वेदिक कन्या महाविद्यालय का शिलान्यास समारोह संपन्न हुआ। जबलपुर के इतिहास की शायद यह प्रथम घटना होगी जब दयोदय की धरती पर दयामूर्ति संत ने मानव मात्र पर करुणा करते हुए ‘पूर्णायु प्रकल्प’ के रूप में आयुर्वेदिक औषधालय की नींव रखी।
साथ ही प्राचीन आयुर्वेदिक संस्कृति के पुनर्जीवन और संरक्षण हेतु आयुर्वेदिक कन्या महाविद्यालय का भी शुभारंभ करने का आशीर्वाद प्रदान कर दिया। आयुर्वेद की यह धारा युग-युग तक प्रवर्तमान रहे और सभी अपनी–अपनी पूर्ण आयु प्राप्त कर सकें, इसी सोच के साथ इस प्रकल्प का प्रतिष्ठापन हुआ।
धरती के चाँद के दरबार में चौहान (२० अक्टूबर)
प्रतिभास्थली की धरा पर शरद पूर्णिमा का सुहाना दिन और धरती के देवता का साक्षात् दिग्दर्शन यह सोने पर सुहागा वाला अवसर था। इस स्वर्णिम अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजजी चौहान का आगमन हुआ।
उन्होंने ‘जीव दया के मसीहा’ आचार्य भगवन के नाम पर ‘विद्यासागर जीवदया गौ सेवा सम्मान योजना’ का पुनः प्रारम्भ करते हुये जीव दया के क्षेत्र में अग्रणी संस्थाओं को पुरस्कार वितरित किए। उन्होंने कहा आचार्यश्री का अवतरण हम लोगों के भवतरण के लिए ही हुआ है।
गाँधी जयंती हुई जयवंत, पाकर समागम संत का (२ अक्टूबर)
राष्ट्रसंत १०८ आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के पावन चरणों में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जन्म जयंती का जयघोष भावभीनी स्मृतियों के साथ हुआ।
कु. आरुषी जैन ने महात्मा गाँधी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के बल पर देश को आज़ाद कराया। उन्होंने खादी को आज़ादी का शस्त्र बनाया। आज आचार्यश्री उसी हथकरघा को पुनर्जीवित करने का पुरुषार्थ कर रहे हैं। अब हमारा कर्तव्य है कि हम आचार्यश्री के भारत बने भारत अभियान में अपना योगदान देकर भारत का विकास करें। आचार्यश्री जी ने भी अपने प्रवचनों में गाँधीजी के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण प्रसंगों पर चर्चा की।
गुरु चरण सन्निधि में मिली अमूल्य निधि (२८ अगस्त)
प्रतिभास्थली में अंकुरित नन्हें पौधे वटवृक्ष बन गुरु चरणों में उपस्थित हुए। २००६ में प्रतिभास्थली के शुभारंभ से लेकर २०१८ तक के बैच की करीब २०० छात्राएँ प्रतिभास्थली परिसर में विराजमान संत शिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों के साथ उपस्थित हुई।
गुरु चरणों में समर्पित इन छात्राओं को देख आचार्य भगवान भाव विभोर हो गए। इन होनहार छात्राओं की भवितव्यता को देखते हुए आचार्य श्री ने उन्हें जीवनोपयोगी बहुत सुंदर सूत्र दिए।
आचार्यश्री जी ने कहा-
जीना चढ़ने हेतु
यूँ ही जीना क्या?

- संग्रह नहीं वितरण होना चाहिए।
- नौकरी नहीं व्यवसाय करना चाहिए।
- चिकित्सक को रोगी के साथ आत्मीय संबंध स्थापित करके चिकित्सा करना चाहिए।