पाठ्यक्रम

हमें पढ़ाना नहीं अपितु चेतना को मोड़ देना हैं। -आचार्यश्रीजी

प्रतिभास्थली में सर्वांग – सम्पूर्ण शिक्षा की दृष्टि से विशिष्ट शिक्षा योजना का निर्माण किया हैं। इस शिक्षा के मुख्य अंग– बौद्धिक, नैतिक ,चारित्रिक, शारीरिक, दार्शनिक, सामाजिक और संवेदनात्मक विकास हैं।

केवल अंग्रेजी भाषा के अध्ययन से अपनी संस्कृति से दूर जाती पीढ़ी को यहाँ तीन भाषाओं के माध्यम से शिक्षा दी जाती हैं।

यहाँ बालिकाएं संस्कृत भाषा के अध्ययन से अपनी प्राचीन संस्कृति की पहचान करती हैं। राष्ट्रभाषा हिंदी का अध्ययन तथा हिंदी माध्यम उसें भारतीयता से जोड़ता हैं तथा अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करके बालिकाएं देश – विदेश में विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में अपना भविष्य सुदृढ़ करेगी।

प्रतिभास्थली में कन्याओं को मातृभाषा में शिक्षण दिया जा रहा हैं। जिससे वे तनाव रहित हो ज्ञानार्जन कर सकें और सरलता से उस ज्ञान को प्रस्तुत कर सकें।

यहाँ विज्ञान, गणित, भूगोल आदि विषयों के पारिभाषिक शब्दों का ज्ञान अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों भाषाओँ में कराया जाता हैं। जिससे उन्हें आगे किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कठिनाई की अनुभूति न हो। अंग्रेज़ी भाषा की वाक् कला में निपुण करने के लिए Spoken English classes, श्रवण कक्षा, वाद विवाद का आयोजन किया जाता हैं ।

यहाँ की बालकेन्द्रित शिक्षा पद्धति बालिकाओं की प्रतिभा के उन्नयन के लिए उन्मुक्त आकाश ही प्रदान नहीं करेगी अपितु आत्मानुशासन की कला उन्हें अपने नीड़ में रहना और उसे सजाना- संवारना भी सिखाएगी।

(चौथी-पांचवी)

(छ्ठवीं से आठवीं)

(ग्यारहवीं-बारहवीं)