100%

कक्षा १०वीं और १२वीं सी.बी.एस.ई बोर्ड परीक्षा: शत-प्रतिशत परिणाम

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पाठ्य सहगामी गतिविधियों का आयोजन

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शैक्षणिक भ्रमण व यात्रायें- उत्तर भारत, दक्षिण भारत, राजस्थान,...

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शाखाओं द्वारा भारत में ज्ञानदान परंपरा का पुनर्जीवन

विश्व कल्याण की भावना जिनका धर्म है,

मन और इंद्रियों को जीतना जिनकी साधना है और

आत्मा का अन्वेषण जिनका लक्ष्य है,

ऐसे युगपुरुष जैन दिगंबराचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज की चिंतनधारा से पोषित है-

प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ

हमारी प्रेरणा

विश्व कल्याण की भावना जिनका धर्म है,

मन और इंद्रियों को जीतना जिनकी साधना है और

आत्मा का अन्वेषण जिनका लक्ष्य है,

ऐसे युगपुरुष जैन दिगंबराचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज की चिंतनधारा से पोषित है-

प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ

प्रतिभास्थली भारत-भर में अनूठा व अद्वितीय कन्या आवासीय शिक्षण संस्थान है।

यहाँ शिक्षा अर्थोपार्जन का साधन नहीं अपितु ज्ञान-दान की पावन प्रक्रिया है। यहाँ बालब्रह्मचारिणी विदूषी, प्रशिक्षित शिक्षिकायें कन्याओं के उज्जवल भविष्य के निर्माण हेतु अपनी निस्वार्थ सेवायें अहर्निश प्रदान कर रहीं है। सी. बी. एस. ई. मान्यता प्राप्त यह संस्थान आज के आधुनिक परिवेष में प्राचीन गुरुकुलों की स्मृति को पुनः जीवंत कर रहा है।

‘‘यहाँ शिक्षा का लक्ष्य जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण है।’’

मनुजो मानवो भूयात् ।
भारत: प्रतिभारत:॥

मनुष्य बुद्धि व गुणों के विकास और संस्कारों के संवर्धन से मानव बने और भारत प्रतिभा में निमग्न हो।

दिनांक 18 फरवरी सन् 2004 में जबलपुर, पुण्य सलिला नर्मदा के पावन तट तिलवारा घाट पर आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज चतुर्विध संघ सानिध्य में प्रतिभास्थली का शिलान्यास किया गया।

शैक्षणिक भ्रमण व यात्रायें

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प्रकृति प्रेम

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वार्षिकोत्सव (निर्माण)

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खेलकूद

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नृत्य

हस्त कौशल

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ध्यान एवं योग

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पाक कला

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समाचार और घटनाक्रम

हित का सृजन और अहित का विसर्जन यही शिक्षा का लक्षण है।

शिक्षा का कार्य व्यक्तित्व का संपूर्ण तथा सर्वांगीण विकास करना है। प्रतिभास्थली में छात्राओं के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक आदि पहलुओं के विकास हेतु विविध गतिविधिओं का आयोजन किया जाता हैं और बालिकाएँ उत्साह, रूचि व उमंग के रंगों से भरी हुई विभिन्न पाठ्यसह्गामी क्रियाएँ करती है।

शिक्षा के साथ चलें संस्कारों की ओर...