हमारा उद्देश्य

“हित का सृजन अहित का विसर्जन यही शिक्षा का लक्षण है।”

इसी लक्षण की पूर्णता में संलग्न प्रतिभास्थली में छात्रायें स्व-परहित व अहित का विवेक प्राप्त करती है। यहाँ उन्हें गतिशील, सजग और सुसंस्कारित किया जाता है। यहाँ की शिक्षा, छात्राओं को कर्तव्य बोध जागृत कराती है, उन्हें देश, समाज व परिवार की कार्यात्मक इकाई के रूप में स्थपित करती है।

इसी उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज के श्रीमुख से विश्व कल्याण की भावना से एक स्वस्थ शिक्षा योजना का प्रतिपादन हुआ जिसके सात आधार स्तम्भ है: