परिचय
हमारा उद्देश्य
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सात आधार स्तम्भ…
“हित का सृजन अहित का विसर्जन यही शिक्षा का लक्षण है।”
इसी लक्षण की पूर्णता में संलग्न प्रतिभास्थली में छात्रायें स्व-परहित व अहित का विवेक प्राप्त करती है। यहाँ उन्हें गतिशील, सजग और सुसंस्कारित किया जाता है। यहाँ की शिक्षा, छात्राओं को कर्तव्य बोध जागृत कराती है, उन्हें देश, समाज व परिवार की कार्यात्मक इकाई के रूप में स्थपित करती है।
इसी उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज के श्रीमुख से विश्व कल्याण की भावना से एक स्वस्थ शिक्षा योजना का प्रतिपादन हुआ जिसके सात आधार स्तम्भ है:
- स्वस्थ तन: छात्राओं के मानसिक, बौद्धिक व भावात्मक विकास के लिए एक स्फूर्ति व उत्साहयुक्त स्वस्थ तन का विकास करना।
- स्वस्थ वचन: छात्राओं के वचन को स्व और परहितकारी बनाना तथा उनकी भाषा को सार्थक व संयत बनाकर परिष्कृत करना।
- स्वस्थ मन: छात्राओं में मैत्री, विनय, आस्था, समर्पण, सकारात्मक दृष्टिकोण आदि गुणों का विकास करना तथा उनके मन से ईष्या व द्वेष को दूर करना।
- स्वस्थ धन: जीवन में न्याय, नीति, ईमानदारी से सात्विक धनोपार्जन व सम्यक् वितरण के कौशल का विकास करना और उन्हें कर्तव्य निष्ठ बनाकर देश के लिए चेतन धन का निर्माण करना।
- स्वस्थ वन: छात्राओं पशु-पक्षी, वन वातावरण के प्रति प्रेम व दया का भाव भरकर उन्हें पर्यावरण मित्र बनाना।
- स्वस्थ वतन: छात्राओं को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का ज्ञान कराना और उन्हें विश्व बन्धुत्व की भावनाओं से भरना।
- स्वस्थ चेतन: छात्राओं को श्रद्धा, ज्ञान और आचरण सम्यक् करने के लिये प्रेरित करना।