विद्यालय प्रांगण

घर से दूर अपना घर

घर से दूर अपना घर – छात्रावास

दीवारों का नाम घर नहीं, दिलों के बीच खिंची दरारों को भरने के स्थान का नाम “घर” है । विनय, एकता और वात्सल्य रुपी त्रिवेणी के संगमस्थली का नाम है “घर” । सदाचार, आचार, विचार व समीचीन व्यवहार की केन्द्रस्थली का नाम है “घर”।

जहाँ अपनों और अपनेपन का एहसास हो, जहाँ सबको सब पर विश्वास हो, जहाँ सच्चाई, नैतिकता और मानवता का वास हो उस पवित्र भूमि का नाम है “घर” ।

ऐसे ही ‘घर से दूर घर’ जैसा एहसास कराने वाला एक घर है – छात्राओं का अपना घर प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, जबलपुर जहाँ छात्राएँ अपनों से दूर रहकर भी अपनेपन का एहसास करती हैं, अपनेपन से अपनों के बीच रहने का प्रयास करती हैं ।

प्रतिभास्थली परिसर में स्थित छात्रावास में रहते हुए छात्राएँ प्रातःकालीन बेला से लेकर सायंकालीन संध्या तक अपने शारीरिक विकास हेतु भिन्न भिन्न गतिविधिओं में संलग्न रहती हैं । इन गतिविधिओं को संचालित करने वाली करीब 100 से भी अधिक शिक्षिकाएँ व 700 छात्राएँ एक साथ मिलकर इस छात्रावास में प्रेम से रहते हैं।

प्रतिभास्थली परिसर में छात्राओं के निवास हेतु तीन छात्रावास हैं, जिनके नाम है – नीली निलय, सीता कुटीर और सोमा सदन । प्राचीन सतीओं के नाम से सुशोभित ये छात्रावास जहाँ एक और प्राचीनता की मिसाल हैं वहीं दूसरी और ये आधुनिकता के बेजोड़ नमूने भी हैं ।

इन छात्रावास भवनों में एक साथ 350-350 छात्राएँ रहती हैं । सर्व सुविधा युक्त ये छात्रावास प्रकृति की गोद में स्थित प्राकृतिक सुन्दरता व वातावरण से परिपूर्ण हैं। यहाँ रहते हुए छात्राएँ एक दूसरे की पहचान रखते हुए अपने को पहचानने का प्रयास करती हैं।