विद्यालय प्रांगण
अपना बाज़ार
आवश्यकता आविष्कार की जननी होती हैं । जरुरतें जब जन्म लेती हैं तो उनकी पूर्ति के लिए भी उपाय करना अनिवार्य हो जाता है और इन आवश्यकताओं की पूर्ति का एक मात्र स्थान होता हैं ‘बाज़ार’ ।
जहाँ पर वस्तुओं का आदान-प्रदान का सिलसिला अनवरत चलता है जिससे ग्राहक और दुकानदार के बीच एक भावनात्मक रिश्ता भी जन्म लेता है।
चूंकि प्रतिभास्थली में भी करीब 750 छात्राएं 24 घंटे निवास करती हैं अतः उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु छात्रावास परिसर में छात्राओं की सुविधा अनुसार उनका अपना बाज़ार है जहाँ छात्राएं एक निश्चित व निर्धारित समय पर आकर अपनी मनचाही वस्तुएं उचित मूल्य पर खरीदती हैं और निर्विकल्प होकर अपना अध्ययन करती हैं ।
इस बाज़ार में स्टेशनरी, जनरल स्टोर एवं छोटी मोटी वस्तुएँ उपलब्ध रहती हैं जिससे उनके अभिभावकों को बार-बार उनकी आवश्यक वस्तुएं नहीं भेजनी पड़ती हैं । साथ ही साथ छात्राओं को भी बिना परिश्रम के घर बैठे सहज ही वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं।