विद्यालय प्रांगण

मनोरंजन उद्यान

स्वस्थ व क्रियाशील व्यक्तित्व के निर्माण व शारीरिक और मानसिक रोग भ्रमों को दूर करने का मनोरंजन एक प्रबल साधन हैं। वैसे तो मनोरंजन आत्माश्रित हैं किन्तु बचपन के विकास में मनोरंजन के बाह्य साधनों को जुटाने का भरसक प्रयास किया जाता हैं।

विद्यालयों में जहाँ छात्र-छात्राएँ दिन भर मानसिक श्रम से थक जाती हैं तो उनकी थकान मिटाने के लिए विभिन्न खेलों का सहारा लिया जाता हैं, वहाँ प्रतिभास्थली में छात्राओं की मानसिक व शारीरिक श्रम की थकान को दूर करने के लिए विद्यालय परिसर में एक मनोरंजन उद्यान हैं।
जहाँ छोटे बड़े कई तरह के झूले, सरकपट्टी, जम्पिंग यंत्र, हवाई चेयर जैसे मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं । यहाँ खेलते हुए छात्राओं में कई तरह के मानवीय गुणों का विकास होता हैं जैसे एकता, धैर्य, सहनशीलता, साहस, वीरता, अनुशासन और वात्सल्य ।

प्रकृति की गोद में मनोरंजन यंत्रों की स्थापना होने से इसे मनोरंजन उद्यान की संज्ञा दी गई हैं । मनोरंजन यंत्रों के बीच-बीच में कई तरह के सुगन्धित व सजीले पौंधों व वृक्ष को लगाया गया हैं जो उस उद्यान की शोभा में चार चाँद लगाते हैं तथा छात्राओं के अंदर प्रकृति प्रेम की भावना भरते हैं और उन्हें पर्यावरण मित्र बनाते हैं ।

यह मनोरंजन उद्यान मानव व पर्यावरण के बीच सम्बंधो की कड़ी के रूप में कार्य करता हैं ।