भारत का स्वर्णिम अतीत- भाग 2
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परम पूज्य जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ ने अपने वार्षिकोत्सव “निर्माण-2019” में भारत का स्वर्णिम अतीत- भाग 2 की भव्य प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम की शुरुआत गुरु वंदना के सौम्य नृत्य से हुई। तत्पश्चात नन्ही-नन्ही छात्राओं ने शिक्षा के दीप बनकर समाज और राष्ट्र को, निर्मल ज्ञान और कर्तव्य से रोशन करने की प्रतिज्ञा ली। स्वर्णिम अतीत में प्राचीन काल में भारतीयों के द्वारा की गई अद्भुत खोजों को उजागर किया गया जो आज वर्तमान में विदेशियों के नाम से प्रसिद्ध हैं।
ऋषि अगस्त्य के आश्रम में शुष्क सेल से विद्युत की उत्पत्ति के मंचन से छात्राओं ने पूरी सभा को अचंभित किया। धनवंतरी के टीके के ज्ञान से छात्राओं ने भारत की जीवनदायिनी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर प्रकाश डाला।
डॉक्टर जगदीश चंद्र बसु की विद्युत चुंबकीय तरंगों की अद्भुत खोज तथा उनकी निरीहता की हृदयस्पर्शी प्रस्तुति की दर्शकों ने भूरि- भूरि प्रशन्सा की। भारत की प्राचीनतम भाषा संस्कृत को उत्कृष्ट मानने वाले नासा (NASA) के नियंत्रण कक्ष का मंचन सांसो को थामने वाला था।
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भारतीय राजाओं के शौर्य तथा पराक्रम में अद्वितीय सम्राट पृथ्वीराज चौहान को छात्राओं ने मंच पर जीवंत किया।
अंत में देशभक्ति की रंगारंग नृत्यनाटिका से छोटी-छोटी छात्राओं ने दर्शकों के हृदय को देश प्रेम से सराबोर किया। समग्र कार्यक्रम के द्वारा ‘विश्व के राजगुरु’ भारत की अस्मिता को लौटाने और भारतीयों के सोए हुए आत्म गौरव को जगाने का छात्राओं ने आह्वाहन किया। सभी न्यासीगण, अभिभावक और दर्शकों ने इस प्रेरक प्रस्तुति की ह्रदय से सराहना की।
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