प्रकृति प्रेम

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हमारा आदर्श

मनुजो मानवो भूयात् ।
भारत: प्रतिभारत:॥

मनुष्य बुद्धि व गुणों के विकास और संस्कारों के संवर्धन से मानव बने और भारत प्रतिभा में निमग्न हो।

हमारा इतिहास

शिक्षा के क्षेत्र में गहराते सघन अंधकार को मिटाने दिगम्बराचार्य 108 विद्यासागरजी महाराज ने 30 जून, 2006 को नर्मदा के पावन तट तिलवारा घाट पर इस वसुंधरा की अप्रतिम कृति ,प्राचीन व आधुनिक संस्कृति की संवाहक प्रतिभास्थली का सृजन कर अपने दिव्य प्रकाश से हृदय के गहनतम अँधेरे कोनों में प्रकाश भरना आरम्भ कर दिया।

हमारा उद्देश्य

  • स्वस्थ तन
  • स्वस्थ मन
  • स्वस्थ वचन
  • स्वस्थ धन
  • स्वस्थ वन
  • स्वस्थ वतन
  • स्वस्थ चेतन

समाचार और घटनाक्रम

समाचार और घटनाक्रम

शिक्षा के साथ चलें संस्कारों की ओर...

हमारी प्रेरणा

विश्व कल्याण की भावना जिनका धर्म है,

मन और इंद्रियों को जीतना जिनकी साधना है और

आत्मा का अन्वेषण जिनका लक्ष्य है,

ऐसे युगपुरुष जैन दिगंबराचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज के शिक्षादर्शन की प्रयोगशाला है-

प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ