पुस्तकालय- सरस्वती भवन
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ज्ञान का भंडार, बच्चों की रुचिओं का खजाना, सरस्वती का निवास स्थान और ज्ञान के पल्लवन और पुष्पन के केंद्र को सरस्वती भवन अथवा पुस्तकालय की संज्ञा दी जाती है ।
पुस्तकालय एक ऐसा स्थान हैं जहाँ बैठकर हम पूरे संसार की घर बैठे सैर कर सकते हैं और ज्ञानवर्धन कर सकते हैं । पुस्तकालय में रखी पुस्तकें चैतन्य कृतिओं के निर्माण का अप्रतिम साधन हैं । बालक से लेकर वृद्ध तक सभी लोगों के सुख दुःख का साथी हैं । इसीलिए प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय अवश्य होता है ।
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में भी बलिकाओं के मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए दो-दो सरस्वती भवन हैं । जहाँ सन्दर्भ ग्रन्थ, शब्दकोश, नैतिक, सामाजिक, राजनीतिक, भोगोलिक और ऐतिहासिक सभी विषयों से संबंधित लगभग दस हजार पुस्तकें हैं और विभिन्न विषयों की CD और DVD भी उपलब्ध है । उनके साथ अनेक समाचार पत्र और पत्रिकाएँ भी समय समय पर आती हैं, जिनसे छात्राओं को सम-सामायिक विषयों की जानकारी प्राप्त होती रहती है ।
विद्यालय के सरस्वती भवन प्राचीन परम्पराओं का पोषक, आधुनिक ज्ञान का साधन और आध्यात्मिक साधना की तपस्थली हैं । जहाँ 2 माह तक ज्ञान के भंडार, अध्यात्मिक सरोवर के राजहंस इस प्रतिभास्थली के प्रणेता 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अनवरत और कठोर साधना करके इसके कण-कण को पवित्र किया है । यहाँ बैठ कर पढ़ने वाली छात्राएँ एक अद्भुत शांति का अनुभव करती हैं ।
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