आओ और सीखें

भ्रमण 2023

जीविका आश्रम में छात्राओं ने किया श्रम (19 फरवरी 2023)

जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर बसे इंद्राणा गांव में आशीष गुप्ता द्वारा संचालित ‘जीविका आश्रम’ में कक्षा 10वीं की छात्राओं ने भ्रमण किया। भारतीय ग्रामीण संस्कृति पर आधारित यह आश्रम पूरी तरह से ग्रामीण विरासत को सहेज रहा है।

छात्राओं ने वहाँ प्रकृति से साक्षात्कार किया, ग्रामीण संस्कृति को समझने का प्रयास किया और श्रम की साधना की। वहाँ छात्राओं ने कुम्हार की कला, बांस से सामान बनाना, गोबर से घर की लिपाई, पत्थरों पर पॉलिश और पेड़ पर चूने से पुताई की। व्यावहारिक जीवन के इन कार्यों को करते हुये छात्राओं ने अद्भुत अनुभव और गहरा ज्ञान प्राप्त किया।

गुरु दर्शन कर हर्षित हुआ मन (18 फरवरी 2023)

छत्तीसगढ़ की धरा पर स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ में विराजमान आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महाराज के पावन चरणों में पहुँचकर कक्षा 12वीं की छात्राओं ने उनके दर्शन और पूजन का लाभ लिया।

इस अवसर पर छात्राओं ने अपना भावभीना पत्र गुरुजी को पढ़कर सुनाया और अपना हस्तनिर्मित प्रतीकात्मक चित्र भी उनके चरणों में समर्पित किया। बोर्ड परीक्षा की सफलता हेतु सभी ने आशीर्वाद भी प्राप्त किया। हम उनके पुण्य की बहुत-बहुत अनुमोदना करते हैं।

एक शाम बरगी बाँध के नाम (17 फरवरी 2023)

कक्षा 12वीं का नया सत्र शुरू होने से पूर्व छात्राओं ने बरगी में विराजमान आर्यिकारत्न 105 ऋजुमतिमाताजी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। आहारदान के लाभ के साथ ही माताजी के मुखारविंद से णमोकार मंत्र के उच्चारण द्वारा 12वीं कक्षा के नवीन सत्र का मंगलाचरण हुआ।

माताजी का आशीर्वाद प्राप्त कर सभी छात्राओं ने बरगी नगर में नर्मदा नदी पर स्थित ‘रानी अवन्ति बाई सागर बाँध’ का भ्रमण किया। जल की गति से विद्युत ऊर्जा कैसे उत्पन्न की जाती है, इसका बहुत गहराई से ज्ञान प्राप्त किया। सभी छात्राओं ने क्रूज भ्रमण का लुफ्त भी उठाया। इस सुखद यात्रा के यादगार पल उन्हें हमेशा याद रहेंगे।

कारोपानी की कहानी, छात्राओं की मुँहजवानी (16 फरवरी 2023)

डिंडोरी से 20 किलोमीटर दूर स्थित ‘श्याममृग का प्राकृतिक आवास स्थल, कारोपानी’ में वर्तमान में संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद से चलचरखा प्रशिक्षण केंद्र संचालित हो रहा है। कक्षा 12वीं की छात्राओं ने वहाँ जाकर चरखा और हथकरघा का प्रशिक्षण लिया और वहाँ कार्यरत महिलाओं का साक्षात्कार भी लिया।

चलचरखा ‘महिलाओं के जीवन की संजीवनी’ है, ‘गुरुकृपा का प्रसाद’ है, महिलाओं के मुख से यह सुनकर छात्रायें बहुत प्रसन्न हुईं। नर्मदा नदी में नौका विहार का आनंद और श्याममृग को करीब से देखने हेतु उनके पीछे भागने का पागलपन बहुत ही मनोरंजक था।