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गुरु चरण वंदना, डोंगरगढ़ 2017

जिनके आचरण में अहिंसा, वाणी में स्याद्वाद, विचारों में अनेकांत है, जिनका सम्पूर्ण जीवन ही एक जीवंत ग्रन्थ है, ऐसे प्रज्ञाश्रमण, आत्म विद्या के पथ प्रदर्शक, महामनीषी, निर्ग्रन्थ पथ के पथिक संत शिरोमणी 108 आचार्यश्री विद्यासागर महाराजजी का संयम स्वर्ण महोत्सव 28 जून 2017, अष्टम तीर्थेश श्री चन्द्रप्रभु भगवान के पवित्र धाम चन्द्रगिरि, डोंगरगढ़ तीर्थ क्षेत्र पर मनाया गया ।

जो प्रतिपल अपनी आत्म साधना में निरत रहते हैं, जिनका सानिध्य हमें स्वानुभव के महासागर में प्रवेश पाने को प्रेरित करता है ।

ऐसे निर्ग्रन्थ संत की चरण सन्निधि में बैठकर दीक्षा दिवस मनाने का सौभाग्य प्राप्त किया – प्रतिभास्थली की धरती पर, प्रतिभास्थली परिवार ने ।

सूरज ने प्रात: ही आकर अपनी रश्मियों से उस प्रकृति पुरुष के पावन चरणकमलों का अभिषेक किया । प्रकृतिप्रेमी आचार्यश्री ने नन्हीं – नन्हीं बालिकाओं द्वारा रोपे जाने वाले पौधों का अवलोकन किया और छात्राओं को धर्म वृद्धि का आशीर्वाद दिया ।

प्रभात की मंगल बेला में प्रतिभास्थली की बालिकाओं ने प्राचीन महापुरुषों के जीवन पर आधारित नाटिकाओं के माध्यम से गुरु वचनों को जन-जन तक पहुंचाते हुए भक्ति भाव से गुरु चरणों की महापूजन की।

मनुजो मानवो भूयात् भारत: प्रतिभारत: । गुरूणाम गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज की मंगल भावना के प्रतीक के रूप में प्रतिभास्थली की 50 छात्राओं द्वारा पेटी चरखा को मंच पर सूत्र बनाकर जन-जन को एकता के सूत्र में बाँध दिया । इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंहजी गुरु भक्ति हेतु उपस्थित थे ।

ये अद्भुत दृश्य देखकर आचार्यश्री सहित सभी के मस्तिष्क पटल पर प्राचीन भारत के स्वर्णिम अतीत की स्मृतियाँ तरोताजा हो गयी जिनकी प्रस्तुति छात्राओं द्वारा सायंकालीन सभा में भव्यता पूर्वक की गयी ।