वार्षिकोत्सव 2022 के मंच से भारत की वीरांगनाओं के अदम्य साहस और शौर्य की विजयगाथा को प्रस्तुत किया गया। खेल-खेल में अंग्रेजों की भारत विजय और भारतीयों द्वारा अंग्रेजों की पराजय का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया गया। छात्राओं द्वारा अतीत की वीरांगनाओं को पहचान देना भारतीय इतिहास को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति महोदया डॉ. नीलिमा गुप्ता ने की।
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ ने अपने वार्षिकोत्सव “निर्माण-2019” में भारत का स्वर्णिम अतीत- भाग 2 की भव्य प्रस्तुति दी। स्वर्णिम अतीत में प्राचीन काल में भारतीयों के द्वारा की गई अद्भुत खोजों को उजागर किया गया जो आज वर्तमान में विदेशियों के नाम से प्रसिद्ध हैं। समग्र कार्यक्रम के द्वारा ‘विश्व के राजगुरु’ भारत की अस्मिता को लौटाने और भारतीयों के सोए हुए आत्म गौरव को जगाने का छात्राओं ने आह्वाहन किया।</p> |
पाश्चात्य संस्कृति की पिछलग्गू बनी भारतीय संस्कृति की अपंगता, नौकरी के बोझ तले कराहती मानवता, अँग्रेजी की मखमली मार से दम तोड़ती हिंदी भाषा और संसाधन,समय और बुद्धि के अपव्यय से पीड़ित भारतमाता… ऐसी भारत की ज्वलंत समस्याओं की जीवंत झाकीं का नजारा करवाया प्रतिभास्थली वार्षिकोत्सव निर्माण- 2018 ने ।
संयम पथ के अविराम यात्री 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का 50वां दीक्षा वर्ष भारत में ‘संयम स्वर्ण महोत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस भक्ति की धारा में निर्माण 2017 प्रतिभास्थली ने अपने प्राणदाता की आराधना के रूप में मनाया। आचार्यश्री के जीवन पर आधारित कार्यक्रम जैसे छाया नाटक, मूक अभिनय, रोशनी अभिनय, रेत कला, चरखा प्रस्तुति, योग, शास्त्रीय नृत्य आदि प्रस्तुत किये गये।
वार्षिकोत्सव 2022 के मंच से भारत की वीरांगनाओं के अदम्य साहस और शौर्य की विजयगाथा को प्रस्तुत किया गया। खेल-खेल में अंग्रेजों की भारत विजय और भारतीयों द्वारा अंग्रेजों की पराजय का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया गया। छात्राओं द्वारा अतीत की वीरांगनाओं को पहचान देना भारतीय इतिहास को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति महोदया डॉ. नीलिमा गुप्ता ने की।
प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ ने अपने वार्षिकोत्सव “निर्माण-2019” में भारत का स्वर्णिम अतीत- भाग 2 की भव्य प्रस्तुति दी। स्वर्णिम अतीत में प्राचीन काल में भारतीयों के द्वारा की गई अद्भुत खोजों को उजागर किया गया जो आज वर्तमान में विदेशियों के नाम से प्रसिद्ध हैं। समग्र कार्यक्रम के द्वारा ‘विश्व के राजगुरु’ भारत की अस्मिता को लौटाने और भारतीयों के सोए हुए आत्म गौरव को जगाने का छात्राओं ने आह्वाहन किया।</p> |
पाश्चात्य संस्कृति की पिछलग्गू बनी भारतीय संस्कृति की अपंगता, नौकरी के बोझ तले कराहती मानवता, अँग्रेजी की मखमली मार से दम तोड़ती हिंदी भाषा और संसाधन,समय और बुद्धि के अपव्यय से पीड़ित भारतमाता… ऐसी भारत की ज्वलंत समस्याओं की जीवंत झाकीं का नजारा करवाया प्रतिभास्थली वार्षिकोत्सव निर्माण- 2018 ने ।
संयम पथ के अविराम यात्री 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का 50वां दीक्षा वर्ष भारत में ‘संयम स्वर्ण महोत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस भक्ति की धारा में निर्माण 2017 प्रतिभास्थली ने अपने प्राणदाता की आराधना के रूप में मनाया। आचार्यश्री के जीवन पर आधारित कार्यक्रम जैसे छाया नाटक, मूक अभिनय, रोशनी अभिनय, रेत कला, चरखा प्रस्तुति, योग, शास्त्रीय नृत्य आदि प्रस्तुत किये गये।