आओ और सीखें​

गुरु आगमन

भव्य आगवानी (जुलाई 2021)

रंगबिरंगी रंगोलियों, मौसम की अठखेलियों और संगीत की स्वर लहरियों के बीच प्रकृति के सुरम्य, सुवासित वातावरण में प्रकृति पुरुष आचार्य गुरूवर 108 श्री विद्यासागरजी महाराज की भव्य आगवानी हुई।

मेघों ने भी रिमझिम फुहारों से गुरुदेव का सर्वांग अभिषेक किया। दिलों की दीवारों पर अंकित अपने भगवान की साक्षात छवि के दर्शन करने जनसैलाब उमड़ पड़ा।

बड़े बाबा की अनुकम्पा और ज्ञान गुरु की कृपा के उपहारस्वरूप गुरुदेव को अपने आँगन में विचरते देख दयोदय, प्रतिभास्थली और पूर्णायु परिवार की आँखे नम हो गईं।

साधक के चरण, प्रांगण में विचरण करें ।
चरणरज से हम अपना आचरण गढ़ें ।।

मंगलमय वर्षायोग की ह्रदय से शुभकामनायें ।
स्वस्थ, प्रशस्त गुरुदेव की पूर्ण हों भावनायें।।

भव्य मंगल प्रवेश (मार्च 2019)

21 मार्च 2019 गुरूवार को अंतरंग की अतल गहराइयों में निमग्न आत्मशिल्पी आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का भव्य मंगल प्रवेश प्रतिभास्थली जबलपुर की पुण्य भूमि पर जैसे ही हुआ, सम्पूर्ण वातावरण रंगीन हो गया।
दयासिंधु गुरूदेव ने करूणाभरी दृष्टि ज्यों ही गौशाला की गायों पर डाली सारे पशुसमाज अपने आश्रयदाता की ओर प्रसन्न दृष्टि से देखने लगी।

रंगो का त्योहार अंतरंग को रंगीला बना गया। रंग विरंगी रंगोलियों के बीच विराजमान अंतरंग साधक के भक्ति रंग में रंग कर छात्राओं ने बहुत भक्ति की। सारी छात्रायें गुरूदेव के कृपा आशीष की बरसात में सरोबार हो गयी।

गुरूसंग त्योहार मनाने का यह स्वर्णिम अवसर हमें हमेशा मिलता रहे …

गुरू आगमन (मार्च 2017)

जिनके सत्संग से आत्मा में सत्य और अध्यात्म का रंग चढ़ जाता है ऐसे महामना, महातपस्वी दिगम्बराचार्य 108 आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का रंगों के त्यौहार होली के पावन दिन 13 मार्च 2017 को प्रतिभास्थली के प्राकृतिक वातावरण में भव्य आगमन हुआ । लाखों की जनता ने चरणों में प्रणिपात किया, फलस्वरूप मंगल आशीर्वाद की बौछारों में जनमानस भक्ति के रंग में रंग गया ।

इस पावन अवसर पर महापूजन के दौरान प्रतिभास्थली की छात्राओं ने हाथों में गुलाल लेकर आध्यात्मिक होली खेली ।

आध्यात्मिक रंगों की होली का यह दृश्य इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर अंकित हो गया जब आचार्य महाराज ने अपनी मुस्कान का राज अपने शब्दों से उद्घोषित किया । उन्होंने कहा आप सभी पर अध्यात्म का रंग गहरा चढ़ जाये ऐसा मेरा आशीर्वाद है ।

प्रतिभास्थली की दीदियों को पड़गाहन का सौभाग्य मिला। आहार का अदभुत विहंगम दृश्य- जहाँ 200 से अधिक लोगों ने आहार दिया, वहीं हजारों की आँखों ने उस दृश्य का अवलोकन किया, सराहना की, पुण्य अर्जन किया।

पुण्य की इस सलिला में बच्चों ने अवगाहन किया। अपने भक्ति गीतों से आचार्य महाराज की अर्चना, वंदना, स्तुति की।

गुरूजी का यह सानिध्य पतितों को पावन बना गया, गुमराहों को जीवन जीने की कला सिखा गया । सूरज आया अपनी रश्मियों से प्रतिभास्थली में रौशनी भर गया, मुरझायें चेहरों पर मुस्कान बिखेर गया । खुश रहने का संकेत दे गया मगर चला गया अगली अगवानी तक की प्रतीक्षा में …
आप जरुर आना, हे धरती के देवता ! हमें आपका इतंजार रहेगा …