आओ और सीखें
मुंबई में प्रस्तुति
भिन्न-भिन्न विषयों पर आधारित इन कार्यक्रमों ने आधुनिकता की चकाचौंध में डूबे मुंबई वासियों को भारत के उजड़ते भविष्य के दर्शन के साथ-साथ भारत के गौरवपूर्ण अतीत की झाँकियों का दिग्दर्शन भी कराया।
छात्राओं द्वारा प्रस्तुत गुरुभक्ति व गुरुमहिमा के तरानों ने भौतिकता से भरी मुंबई में आध्यात्मिकता का रंग भर दिया। कार्यक्रमों की भव्यता ने मुंबई वासियों को इतना मोहित कर दिया कि कुछ घंटों के लिए मुंबई थम सी गई।
परंतु यह सब मुंबई वासियों के अथक परिश्रम और अटूट गुरु भक्ति का परिणाम था, जिन्होंने छात्राओं को मुंबई जैसा मंच दिया। महानगरी की व्यस्ततम जिंदगी में भी गुरुभक्त समाज ने छात्राओं को सर आंखों पर बिठाया। छात्राओं को मुंबई की सैर भी कराई।
सचमुच प्रतिभास्थली ने जहां मुंबई वासियों को भारत की धूमिल होती छवि के विषय में चिंतन करने पर मजबूर किया तो वहीं मुंबई वासियों ने अपनी अद्भुत गुरुभक्ति का परिचय देकर अपने पुण्य में वृद्धि की और आश्वासन दिया कि वह ‘इंडिया को भारत’ बनाने का भरपूर प्रयास करेंगे।