वार्षिक महोत्सव 2018
प्रतिभास्थली वार्षिकोत्सव निर्माण 2018 के मंच से भारत की ज्वलंत समस्याओं पर प्रकाश डाला गया।
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कार्यक्रम की शुरुआत मूकमाटी महाकाव्य की पंक्तियों के बोल पर आधारित भरतनाट्ट्यम के माध्यम से हुई। अगले क्रम में ‘एक वो भी था ज़माना’ गजल का सुंदर नाट्यमंचन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति- प्रोफेसर कपिल देव मिश्रा ने की।
अंग्रेजी की अंधभक्ति और अंग्रेजी भाषा के बोझ तले कराहती युवा पीढ़ी के अंतर को ‘आपकी अदालत’ कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। ‘हिन्दी हिंदुस्तान की धड़कन... इसे सम्मान दो’ बोल पर प्रस्तुत नृत्य ने जनसमूह को राष्ट्रभाषा के गौरव से परिचित कराया।
अगले क्रम में सरकार की ‘नौकर’ बनी युवा पीढ़ी वास्तविक जीवन के धरातल पर नौ-नौ करों(Nine Taxes) को अदा करती है। नौकरी के बोझ से हैरान-परेशान इंसान जीवन से निराश हो जाता है और व्यवसाय की ओर कदम बढ़ाता है- इस संकल्पना पर आधारित “में नौकर हूँ”, “नौकरी नहीं व्यवसाय”- विचारमन्थन(Debate) और पैरोडी जैसे कार्यक्रमों ने जनसमूह का मन मोह लिया।
‘भारत बना इण्डिया’ कार्यक्रम के माध्यम से प्राचीन संस्कृति और पाश्चात्य संस्कृति में रचती मानवता के दृश्यो का अवलोकन कराया गया।
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भोजन, पानी, समय, बुद्धि और संसाधनों की बर्बादी ने मानवता को पंगु बना दिया है- इसको छात्राओं ने कव्वाली और विविध गतिविधियों द्वारा अपव्यय के दुष्परिणामों पर दृष्टिपात कराया और अंत में "“मैं भारत बोल रहा हूँ” गीत पर आधारित नृत्य के माध्यम से स्वयं भारत ने अपनी अंतर वेदना को व्यक्त किया।
कार्यक्रम का समापन ‘अलार्म अभी बजा नहीं’ के माध्यम से हुआ।
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