पाककला
समृद्ध संस्कृति और विरासत की भारतभूमि हमेंशा से रसीले और चटपटे व्यंजनों की अग्रणी उत्पादक व उपभोक्ता रही है । ममता और स्नेहभरे भावों से तैयार किये गये व्यंजन स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और पोषक होते हैं । अपनी परम्परा को अपनाते हुए नवीनता का रसास्वादन कराना भारतीय व्यंजनकला की अद्भुत विशेषता है ।
विविध परम्परा को अपने आंचल में समेटे भारतीय संस्कृति का प्रत्येक परिवार एक ऐसी कुशल गृहणी की तलाश में रहता है, जिसके हाथों में रस हो, व्यंजन बनाने की कला में पारंगत हो । ऐसी कुशल कन्या में विविध कौशलों को गढ़ने का काम करती है - “प्रतिभास्थली” ।
यहाँ कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक प्रत्येक छात्रा को घर के सामान्य भोजन से लेकर सभी प्रकार के व्यंजन बनाने व उन्हें परोसने की कला में कुशल बनाया जाता हैं । ताकि भविष्य में उसे व उसके परिवार को बाज़ार का अशुद्ध भोजन करने पर मजबूर न होना पड़ें ।
प्रतिभास्थली में छात्राएँ ह्रदय में प्रेम व हाथों में रस के साथ शुद्ध, सात्विक तथा पौष्टिक भोजन बनाने की कला में निपुण हो रही हैं ।
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