वार्षिक महोत्सव
खेती बाड़ी है ,
भारत की मर्यादा ,
शिक्षा साड़ी है ।
भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक आचार्य परमेष्ठी गुरुदेव 108 विद्यासागरजी महाराज के इन विचार पर आधारित प्रदर्शनी जिसका उद्देश्य - भारत के गौरवशाली अतीत की उत्पादनशील संस्कृति जीवंत हो, प्रत्येक नागरिक कर्मठ, उत्पादक, श्रमशील बने, वह सेवक नहीं स्वामी बनने की कला सीखे । जिसके विभिन्न विषय- जैविक कृषि, हथकरघा निर्मित वस्त्र, हस्तशिल्प कला, पाककला, विज्ञान व अध्यात्म का बेजोड़ नमूना इत्यादि ।