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सृजनात्मक अभिव्यक्ति

सृजनात्मक अभिव्यक्ति

‘कला’ का इतिहास शास्त्रों से भी प्राचीन है । अत: कलाओं की मूल्यदृष्टि एवं मानवीय उपयोगिता का सवाल हमेंशा सृजन की सम्भावनाओं को स्थान प्रदान करता है ।

मानव के भीतर एक स्वाभाविक शक्ति होती है । इस शक्ति की सकारात्मक अभिव्यक्ति ही सृजनात्मकता है । सृजनात्मकता मनुष्य के काल्पनिक विचारों की वास्तविक धरातल पर साकार रूप देने की अद्भुत कला है ।

 
इस कला की अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करती है “प्रतिभास्थली” । यहाँ पर छात्राओं को अपने मनोविचारों को नवीन-नवीन आकृतियों में संजोने के लिए अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं । जिसमें प्रतिभागी बालिकाएँ अपने सपनों के संसार को हकीकत में बदलने का पुरुषार्थ करती हैं ।

ये प्रतियोगिताएँ हैं – क्ले मॉडलिंग, पोस्टर मेकिंग, ऑब्जेक्ट ड्राइंग, कोलाज मेकिंग, ग्रीटिंग कार्ड, वार्ली पेंटिंग, रंगोली, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि ।