मानस तरंग
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मन के विचारों को अंकुरित, पुष्पित व पल्लवित होने का जहाँ अवसर मिलता हैं उन विचारों को आकार देकर साकार करने का जहाँ मंच मिलता हैं उसे कहते हैं “मानस तरंग” ।
विद्यालय परिसर का मानस तरंग भवन अपने आप में अनोखा हैं । यहाँ वर्ष भर चलने वाली गतिविधिओं को संचालित करने के लिए एक बड़ा कक्ष हैं और उसमें एक विशाल मंच हैं । इस कक्ष में 1500 तक व्यक्ति एक साथ बैठ सकते हैं ।
प्राकृतिक वातावरण के बीचों बीच स्थित यह मानस तरंग भवन 25 दिगम्बर मुनिओं की दीक्षास्थली रहा हैं । 2004 में इस युग के ज्येष्ठ श्रेष्ठ आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज ने तिलवारा घाट की इस पवित्र भूमि पर चातुर्मास करके अगस्त 2004 में 25 ब्रह्मचारियो को एक साथ दिगम्बरी दीक्षा प्रदान की थी ।
पवित्रता, निर्मलता और पावनता की मिसाल ये भूमि 2006 में शिक्षास्थली बन गई । तब से यहाँ इसी मानस तरंग में समस्त शैक्षिक गतिविधिओं का मंचन व संचालन किया जाता हैं । इस भवन में 9 वार्षिकोत्सव संपन्न हो चुके हैं जो सफल हुए व सराहे गए ।
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