गुरु चरण वंदना, खजुराहो 2018
धरा जिनके स्पर्श से तीर्थ बन जाती है,
मेघ जिनके चरण पखार गंधोदक बन जाता है,
हवाएँ जिनका स्पर्श पा महकने लगती हैं,
करोड़ों सूर्य से बढ़कर जिनके तन की कांति है,
जो चांद से शीतल है ...
ऐसे प्रकृति पुरुष का ‘संयम स्वर्ण महोत्सव’ अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल, अतिशय क्षेत्र-खजुराहो(मध्य प्रदेश) में भारतवर्ष के भक्त्त समुदाय के बीच धूमधाम से मनाया गया।
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संतों की चर्या ही उनकी चर्चा और अर्चा का निमित्त बन दिग-दिगन्तर में उनको चर्चित कर देती है। ऐसी चर्या शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी महाराज की चर्चा भी धरती से दूर स्वर्गों में हलचल का कारण बन गई।
स्वर्ग के देवता उनके संयम महोत्सव को धरती पर मनाने उतर आए। ऐसी अद्भुत अनुपम प्रस्तुति प्रतिभास्थली की छात्राओं के द्वारा दी गई। जिसने जन-जन के मानस को झंकृत कर दिया।
नन्हीं बाल कलाकारों के भक्त हृदय से निकले इंदौर आमन्त्रण के निवेदन ने निर्मोही गुरुवर के मन को मोह लिया। इस कलयुग के भगवान आचार्यश्री के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित कई कार्यक्रमों द्वारा प्रतिभास्थली की छात्राओं ने वातावरण को गुरुमय बना दिया।
‘उत्सव आया’ नामक मनोहारी गीत पर आधारित नृत्य ने संयम के इस उत्सव को महोत्सव में परिणत कर दिया, जिसे देखकर जन-जन झूम उठा।
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इसी अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आये भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में निष्णात ‘नेपथ्य के नायकों’ का महानायक आचार्यश्री के सानिध्य में सम्मान किया गया।
समर्पण की मूर्ति आचार्यश्री जी के भावभीने वचनों ने सभा में बैठे भक्तों के हृदय में समर्पण की लहर पैदा कर दी। उन्होंने गुरु की महिमा गाते हुए कहा-
गुरु ने मुझे, प्रकट कर दिया, दिया दे दिया।। और
गुरु कृपा से, बांसुरी बना मैं तो, ठेठ बांस था।।
गुरु कृपा से, बांसुरी बना मैं तो, ठेठ बांस था।।
ऐसे गुरुवर दीर्घायु हो,पूर्णायु हो,सदा जयवंत हो।
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