गुरु चरण वंदना
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।
शीश दिया जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ॥
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सच! जग में संत समागम, सच्चे गुरु का दर्शन, आशीर्वाद व देशना बहुत दुर्लभ है । पंरतु प्रतिभास्थली की पुण्यशाली छात्राओं को प्रतिवर्ष परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के दर्शन का लाभ मिलता है ।
छात्राएं इस दिन का, चातक पक्षी की तरह प्रतीक्षा करती हैं । गुरूजी के चरण कमलों का दर्शन कर जहाँ सभी की आँखें तृप्त होती है, वहीँ उनकी पूजा करके सभी का ह्रदय अभिभूत हो जाता है ।
सभी को आचार्य भगवन् की वीरचर्या (आहारचर्या) को देखकर श्रामणय जीवन की महिमा ज्ञात होती है । मध्याहन में अमृतमयी गुरुवाणी को सुनकर सभी छात्राएं समीचीन जीवन जीने की कला सीखती है तथा कर्तव्य निष्ठ नागरिक बनने की सम्यक द्रष्टि प्राप्त करती है ।
दिनभर गुरु वात्सल्य से भीगी हुई इन छात्राओं को देखकर ऐसा लगता है, मानों ये सलिलाएं सागर को समर्पित हो, गुरुमय हो गई हो ।
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