वीरांगनाओं के जय-जयकारों से गूंज उठा प्रतिभास्थली का पावन परिसर
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गुरु भक्ति संगीत पर नन्हें-मुन्हें बाल-कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण ने सबका मन मोह लिया। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
पुर्तगालियों को हराने वाली भारत की प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी दिगंबर जैन रानी अबक्का के शौर्य और वीरतापूर्ण कृत्यों को देखकर लोगों में जोश का संचार हो गया। इतिहास के पृष्ठों में दबी इस छवि से लोगों का परिचय हुआ।
रानी अहिल्या का प्रजा के प्रति अद्भुत प्रेम के नजारे देख जन सामान्य अभिभूत हो गया। व्यापार द्वारा साम्राज्य के विस्तार की उनकी नीति और हथकरघा उद्योग द्वारा राज्य के विकास की योजना बना जन-जन का मन जीतने की रानी अहिल्या की अभूतपूर्व कला ने वर्तमान पीढ़ी को आश्चर्य में डाल दिया।
शतरंज की रानी से भारत की स्वतंत्रता की कहानी सुन लोग द्रवीभूत हो उठे। बुद्दिबल के प्रयोग द्वारा आजादी के संघर्ष को खेल-खेल में लोगों को समझा देना, इस कार्यक्रम का गौरव था।
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सौगंध तुझे इस मिट्टी की... इस गीत पर आधारित नृत्य नाटिका ने लोगों में देशभक्ति का संचार कर दिया। सेना के महत्व को लोगों ने समझा और भावभीने भावों से कार्यक्रम की सराहना की।
प्रतिभास्थली का यह वार्षिकोत्सव सिर्फ मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं है अपितु भारत के गौरवपूर्ण अतीत के द्वारा भारत के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण की एक पहल है।
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