दिल्ली की धरा पर प्रतिभास्थली का धमाल
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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास केंद्र, की ओर से भारत की राजधानी दिल्ली की धरा पर ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ के क्रियान्वयन के संदर्भ में 17.11.22 से 19.11.22 तक त्रिदिवसीय ‘ज्ञानोत्सव 2079’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह एक ऐसा महाकुंभ था जिसमें शिक्षा मंत्री, शिक्षाविद, कुलपति, शिक्षक, अभिभावक और शोध छात्र सभी एक ही मंच पर एक साथ उपस्थित थे।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ‘बचपन बचाओ आन्दोलन’ के प्रणेता और नोबल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी, भारतीय शिक्षाविद और ‘शिक्षा बचाओ आन्दोलन समिति के राष्ट्रीय सहसंयोजक अतुलजी कोठारी’, ग्रामीण महिला विश्व विद्यालय, हरियाणा पंकज जी मित्तल और 25 राज्यों के उपकुलपति और 300 विद्यालयों के विद्यार्थी उपस्थित थे।
प्रतिभास्थली जबलपुर की ओर से ब्र. नीरज दीदी, ब्र. उन्नति दीदी और दो छात्रायें कु. आरुषी जैन, कु. निशि जैन कार्यक्रम में सम्मिलित हुई।
नयी शिक्षा नीति को जन-जन तक पहुँचाने के लिए और शिक्षा द्वारा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भिन्न-भिन्न स्तरों पर अनेकों प्रयास जारी हैं। उन सभी प्रयोगों को जानने और सराहने हेतु आयोजित शिक्षा और संस्कृति के इस महाकुंभ में प्रतिभास्थली द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अपनाए गए नवाचारों को लेकर बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी गयी।
‘सादा जीवन उच्च विचार’ की धारणा से सजी प्रतिभास्थली की अनुभवी शिक्षिका ब्र.उन्नति दीदी जी ने विद्यालय में 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को दी जा रही ‘हथकरघा और हस्तशिल्प और गोबर शिल्प’ की शिक्षा और विद्यालय के उद्देश्य के रूप में सात आधार स्तंभों- स्वस्थ तन, स्वस्थ मन, स्वस्थ वचन, स्वस्थ धन, स्वस्थ वतन, स्वस्थ वन और स्वस्थ चेतन पर प्रकाश डाला।
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आचार्यश्री के शिक्षा संबंधी विचारों को जन-जन तक पहुँचाने की यह पहल सार्थक और सफल रही। सभा में आसीन सभी सभासदों और सम्माननीय जनों ने प्रतिभास्थली के इन प्रयोगों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कु. आरुषी जैन कक्षा 12वीं विज्ञान संकाय द्वारा हथकरघा-हस्तशिल्प प्रदर्शिनी में प्रदर्शित किए गए उत्पादों के प्रस्तुतिकरण की कला ने समस्त शिक्षाविदों और छात्र-छात्राओं को विस्मित कर दिया।
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